कविता
छतरी के नीचे मुस्कराहट
- राकेश रोहित
छतरी के नीचे मुस्कराहट
थी
जिसे उस लड़की ने ओढ़
रखा था,
उसकी आँखें बारिश
से भींगी थी
और ऐसा लग रहा था
जैसे
भींगी धरती पर बहुत
से गुलाबी फूल खिले हों!
जैसे पलकों की ओट
में
छिपा था उसका मन
वैसे छतरी ने छिपा
रखा था
उसके अतीत का अंधेरा।
पतंग की छांव में एक छोटी सी चिड़िया
पतंग की छांव में एक छोटी सी चिड़िया
चित्र / के. रवीन्द्र |
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